हाँ बेटी , अब तुम भारी हो
तुम पर है अब सबकी नज़र
तुम्हारे हर कार्य पर
आकार पर प्रकार पर
व्यवहार पर स्वभाव पर
हाँ तुम्हें तोला जा रहा है
हाँ तुम्हें परखा भी जाएगा
पल पल तुम्हें
काबिल नाकाबिल बताया भी जाएगा
अब तुम्हें और भी मजबूत बनना है
हर निगाह से मूल्याकन जो होना है
हर अपना तुझे अब पराई देखना चाहता है
पराई ! लगे यूं कि जैसे कभी अपनी थी ही नहीं
हाँ बेटी , अब वो सुन
जो तुम्हें अब करना है
चंचलता छोड़ अब स्थिरता लानी है
चपलता छोड़ अब गंभीरता लानी है
शिक्षा माना तुम्हारी उपलब्धि है
अन्य कार्यों में भी निपुणता लानी है
तुम्हारे त्याग से घर जुड़ा रहे
तो वो भी करो
तुम्हारी सहनशीलता से शांति बनी रहे
तो वो भी करो
सब-कुछ करो मेरी छाया
पर अपना वजूद बचाकर रखो
स्त्री बनकर भी अपने भीतर
एक चंचल , चपल खिलखिलाती हुई
गुड़िया जिंदा रखो ।
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